Rajgir Zoo Safari Full knowledge राजगीर सफारी फुल ज्ञान।

राजगीर नेचर जू सफारी बिहार ।

राजगीर भारत के बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित एक हिस्टोरिकल प्लेस है या कभी मगध साम्राज्य की कैपिटल हुआ करती थी जिसे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ।

दोस्तों इस इस राजगीर जू सफारी में हम डिटेल से जानेंगे टिकट से लेकर रहने तक और यहां तक आने का क्या खर्चा है इस लेख में आपको प्वाइंट बाय पॉइंट पढ़ने को तथा जानने को फुल्ली नॉलेज मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं।

(1.) राजगीर जू सफारी पटना से 110 किलोमीटर पर स्थित है जो की यह बड़े खुशी की बात है यहां एयरपोर्ट जो पटना एयरपोर्ट है आप आसानी से भारत के किसी भी केंद्र से या भारत के बाहर से पटना एयरपोर्ट से बस या टैक्सी से जू सफारी आ सकते हैं।

(2.) भारतीय नागरिक के लिए₹250 का टिकट प्राइस है।

दोस्तों राजगीर जू सफारी का टिकट प्राइस वस्क के लिए₹250 है जो कि बच्चों के लिए भी ढाई सौ रुपया है।

(3.) टिकट बुकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से आप कर सकते हैं। ऑनलाइन टिकट बुकिंग आप घर से बुकिंग कर सकते हैं मोबाइल के जरिए।

https://naturesafarirajgir.bihar.gov.in/

(4.) क्या-क्या देखने को मिलेगा ?

Zoo safari

Rajgir zoo Safari

A टाइगर सफारी

B लाइन सफारी

C हार्बिवोर सफारी

D तेंदुआ सफारी

(5.) राजगीर जू सफारी का खुलने का समय तथा बंद होने का समय ।

Opening Time 9:00 (AM) से शाम (PM)5:00

Opening days :- Tuesday To Sunday

MONDAY Closed 🔐

(6.)राजगीर जू सफारी के पास ठहरने का जगह ?

दोस्तों यहां पर लगभग 10 होटल से आप आराम से बुकिंग कर सकते हैं booking.com से या OYO में जाकर या बुक में ट्रिप इसका प्राइस उसका प्राइस 500 से लेकर 700 के बीच रहने वाला है पर नाइट तो आराम से बुक कर सकते हैं कोई दिक्कत वाली बात नहीं है यहां से आपको लगभग 7 से 10 Km Distance par hai Rajgir zoo Safari park.

या आप फ्री में धर्मशाला में रह सकते हैं जो की निम्नलिखित है ।

A श्री जैन दिगंबर धर्मशाला

B श्री आनंद बीवी जैन सनातन धर्मशाला

C कुशवाहा धर्मशाला

B rajo माता धर्मशाला

आशा करता हूं कि इस लेख में दिए गए जानकारी से आपको जानकारी मिला होगा तो दोस्तों इस प्रकार बने रहे और आगे भी जानकारी मिलती रहेगी।https://www.booking.com

Kedaar Naath

जब तीर्थ यात्रा की बात आती है तो चार धाम की यात्रा करने का मन अवश्य करता है। भारत में चार प्रमुख धाम है जिसमें यमुनोत्री धाम, गंगोत्री धाम, बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम शामिल है। इनमें केदारनाथ बहुत प्रसिद्ध धाम है और यह भगवान शिव को समर्पित स्थान है कहां जाता है कि केदारनाथ मंदिर 1200 साल से भी अधिक पुराना है यह आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था। और यह भारत के 12 ज्योति लिंगो मैं से भी एक है। केदारनाथ मंदिर की यात्रा उत्तराखंड में प्रसिद्ध चार धाम यात्रा का एक अभिन्न है।

 

 

यह उत्तर भारत के पवित्र स्थान में से एक हैं।

केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित है। यह मंदाकिनी नदी के शीर्ष के पास समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ मंदिर हिंदू कार्तिक महीने के(अक्टूबर- नवंबर) पहले दिन बंद हो जाता है और वैशाख (अप्रैल-मई) में खुल जाता है और यह महीने केदारनाथ यात्रा के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं। मानसून के दौरान मंदिर की ओर जाने वाला मार्ग अत्यधिक खतरनाक हो जाता है क्योंकि इस समय भूखलन होने और बढ़ आना बहुत आम है।

केदारनाथ मंदिर द्वापर युग से अस्तित्व में आया

केदारनाथ स्थल द्वापर युग से अस्तित्व में आया था। केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और केदारनाथ मंदिर की यात्रा शिव भक्तों के लिए एक रोमांचक कार्य अनुभव होता है। एक पौराणिक घटना के अनुसार पांडव भाइयों को केदारनाथ मंदिर के निर्माण का श्रेय जाता है इस लेख में पाठ का जन्म पड़ेगा कि शास्त्रों के विपरीत जाकर भगवान शिव की पूजा करना और केदारनाथ की तीर्थ यात्रा करने से साधकों को कोई लाभ होता है या नहीं

केदारनाथ मंदिर का इतिहास

महाभारत से जुड़ी कथाओं के अनुसार पांडवों ने अपने सगे संबंधियों की हत्या के दौरान मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की थी।

 

हालांकि, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु और शिव के पिता ने हिमालय में घूमने के लिए, खुद को एक दुधारू भैंस का रूप धारण किया और पांडवों द्वारा पकड़े जाने पर, सदाशिव भूमिगत हो गए। जब भीम  दूध प्राप्त के उद्देश्य से भैंस को पकड़ने दौरा तभी भैंसा धरती में घुसने लगा। भीम ने भैंस की पीठ को मजबूत से पकड़ लिया।                                         

फिर भी भीम केवल उसके कूबड़ को ही पकड़ पाया था। भैंस के शरीर के अन्य अंग अलग-अलग जगह पर दिखाई दिए। भैंस का कूबड़ केदारनाथ में नाभि मध्य महेश्वर में, दो अग्रपाद तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में और बाल कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इन्हें सामूहिक रूप से पंच केदार का शाब्दिक अर्थ दलदल होता है

हिमालय में ऐसा सात केदार हैं। काठमांडू में भैंसे का सिर निकाला, जिसे पशुपतिनाथ कहा गया। हर हिस्से पर एक मंदिर बनाया गया था। यह सभी मंदिर पौराणिक घटना को सच साबित करने के लिए बनाए गए थे। यद्यपि यह मंदिर किसी न किसी कथा के साक्षी हैं, फिर भी तीर्थ यात्रा का उद्देश्य निरर्थक ही रह जाता है। लगभग 100 वर्ष पूर्व केदारनाथ मैं अत्यधिक वर्षा के कारण दलदल हो गया था। लगभग 60 वर्षों तक उसे स्थान को ना तो कोई देखने गया था और ना ही वहां कोई पूजा आरती हुई थी। हालांकि 30 से 40 साल बाद, अंग तक वहां पूजा करने जाने लगा।

केदारनाथ मंदिर का निर्माण

केदारनाथ मंदिर के निर्माण की एक दिलचस्प कहानी है जो आठवीं शताब्दी की है। की वंदांती के अनुसार, मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने अपनी आध्यात्मिक का यात्रा के शुरुआती वर्षों में किया था। उन्होंने उसे स्थान की खोज कि जहां भगवान शिव स्वयं ज्योति लिंग के रूप में प्रकट हुए थे और उन्होंने वहां एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया।

मूल संरचना पत्थर और लकड़ी से बनी थी लेकिन समय के साथ अत्यधिक मौसम की स्थिति वाला क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह जर्जर हो गई 17वीं शताब्दी में, राजा भॊजपाल ने संगमरमर और ग्रेनाइट का उपयोग करके मंदिर का पुनर्निर्माण किया वर्तमान संरचना विशाल पत्थर के स्लैब द्वारा समर्थित एक ऊंचे मंच पर खड़ी है। दीवारों हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्य को दर्शाती जटिल नक्काशी से सजी हैं। छत तांबे की चादरों से बनी है। एक विशाल शिखर से सुशोजित है जो परिदृश्य पर हावी है भूकंप,भूस्खलन, बाढ़ आदि जैसे कई प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद, केदारनाथ मंदिर अपने ठोस नींव और प्राचीन वस्तुकारो द्वारा नियोजित मजबूत निर्माण तकनीकों की बदौलत सदियों से खड़ा है है। जिन्होंने स्थलाकृति, जलवायु और उपलब्धता जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए इस डिजाइन किया गया था। पत्थर और लकड़ी जैसे संसाधन

केदारनाथ मंदिर में मूर्तियां

केदारनाथ मंदिर न केवल अपने आदित्य लिंगम के लिए बल्कि इसकी शोभा बढ़ाने वाली मूर्तियों के के लिए भी जाना जाता है। केदारनाथ की मुख्य मूर्ति शंक्वाकार पत्थर है जो भगवान शिव को उनके सदा रूप में दर्शाती हैं। यह मूर्ति लगभग तीन फीट की ऊंचाई पर है और इसे 12 ज्योतिलिंगो मैं से एक माना जाता है जो इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल  बनता है

 

इसके अलावा, उमा देवी, गणेश और नंदी जैसी अन्य मूर्तियों भी हैं जो मंदिर परिसर के अंदर हैं। यह मूर्तियां उसे स्थान के आध्यात्मिक माहौल को और भी अधिक दिव्या बनती है

केदारनाथ मंदिर के दीवारों में भगवान शिव से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कहानियों को दर्शाती विभिन्न मूर्तियों से सजी है। जटिल नक्काशी कुशल शिल्प कौशल का प्रदर्शन करती हैं और सदियों से समय की कसौटी पर खड़ी उतरी हैं।

केदारनाथ मंदिर में कुछ भव्य मूर्तियां है जो भारत में एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में इसकी भव्यता और महत्व को बढ़ाती हैं।

निष्कर्ष

केदारनाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह भारत में सबसे अधिक देखें जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक हैं और हर साल हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। पिछले कुछ वर्षों में मंदिर का कई बार जीवो द्वारा हुआ है, लेकिन यह अभी भी भक्त और आस्था के प्रतीक के रूप में खड़ा है

सदियों तक बर्फ के नीचे दबे रहने से लेकर भैरवनाथ द्वारा संरक्षित रहने तक, केदारनाथ मंदिर से जुड़े कई दिलचस्प है जो इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। चार धाम स्थलों में से एक के रूप में इसका महत्व इस उत्तराखंड में किसी भी आध्यात्मिक यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा बनता है।

जैसे ही हम इस लेख को समाप्त करते हैं हम आशा करते हैं कि हम आपको केदारनाथ मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारी प्रदान करने में सक्षम है हम अपने पाठकों को अपने जीवन काल में काम से कम एक बार इस पवित्र मंदिर की यात्रा करने और इसकी अद्वितीय सुंदरता और आध्यात्मिकता का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं

 
 

Sitlaa Maata Mandir Hariyanaa .शीतला माता मंदिर गुड़गांव

Maa Sitlaaa Mandir

शीतला माता एक  प्रसिद्ध हिंदू देवी मंदिर है,

इनका प्राचीन काल से ही बहुत महत्व है ,शीतला माता की सवारी गर्धर्व है ये हाथों में  कलश सूप  झाड़ू तथा नीम के पत्ते धारण करती है इन्हें चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है शीतला माता अपने हाथ में दाल के दाने लेकर भगवान शिव के पसीने से बने ज्वारासुर के साथ धरती लोग पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थी लेकिन राजा विराट अपने राज्य में नहीं रहने दिया।

शीतला माता

शीतला मंदिर की कहानी

हरियाणा राज्य के गुड़गांव में स्थित माता शीतला का मंदिर हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है ।तथा यहां वर्ष में दो बार एक एक माह का मेला होता है विशेषताओं माता के नवरात्रियों के अवसर पर इस मंदिर में भक्तों का मेला लग जाता है,

माता मंदिर  गुड़गांव हरियाणा भारत

बहुत अधिक संख्या में शीतला माता मंदिर  को दर्शन करने भक्त आते हैं अनेक राज्यों से यहां पर शीतला माता को दर्शन करने आते हैं शीतला माता का यह 500 साल पुरानी प्राचीन मंदिर दुनिया भर के भक्तों का आस्था का केंद्र है ।

 

गुड़गांव स्थित शीतला माता की मंदिर को महाभारत काल  से जोड़कर देखा जाता है मान्यता है की महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य यहीं पर कौरवों और पांडवों को अस्त्र-शास्त्र विद्या का ज्ञान दिया करते थे जब महाभारत युद्ध में गुरु द्रोण वीरगति को प्राप्त हुए तो उनकी कृपी उनके साथ सती हो गई माना जाता है कि लोगों के लाख मनाने पर भी यह नहीं मानी और सोलह सिंगार कर सती होने पर निश्चय लेकर गुरु द्रोणाचार्य की चिता पर बैठ गई उस समय उन्होंने लोगों को आशीर्वाद दिया की मेरे इस सती स्थल पर जो भी अपने मनोकामनाएं लेकर पहुंचेगी उसकी मन्नत जरूर पूरी होगी

शीतला मंदिर का इतिहास

कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में महाराजा भरतपुर ने गुड़गांव में माता कृपि के सती स्थल पर मंदिर का निर्माण करवाया और सवा किलो सोने की माता कृपि की मूर्ति बनाकर वहां स्थापित करवाई कहा जाता है कि बाद में किसी मुगल बादशाह ने मूर्ति को तालाब में गिरवा दिया जिसे बाद में माता के दर्शन के बाद सिंघा भक्त ने निकलवाया बताया जाता है कि सिंघा भक्त के ताप को देखकर क्षेत्रीय लोग उनके पांव पूजने लगे थे

मूर्ति की स्थापना को लेकर ही एक अन्य रोचक किस्सा कुछ यूं है गुड़गांव में थोड़ी दूर है फरुर्ख नगर वहां के एक बधई की कन्या बहुत सुंदर थी दिल्ली के तत्कालीन बादशाह तक उसकी सुंदरता का जिक्र पहुंच गया बादशाह ने विवाह की इच्छा प्रकट की लेकिन लड़की के पिता को विधर्मी बादशाह से बेटी की शादी मंजूर नहीं थी उसने भरतपुर के महाराजा सूरजमल से इसकी फरियाद की लेकिन दूसरे राज्य का मसाला बात कर उसने टाल दिया जब मायूस होकर वह लौट रहा था तो युवराज से उनकी मुलाकात हुई और उसने युवराज के आगे गुहार लगाई इस पर युवराज ने पिता के खिलाफ जाकर विद्रोह करते हुए दिल्ली पर आक्रमण किया उसने आक्रमण से पहले गुड़गांव में माता से विजय की मन्नत मांगी और माता के मध्य को पक्का करवाने का संकल्प लिया विजयी होने के बाद उसने यहां पर माता का पक्का मढ बनवाया

शीतला मंदिर का महत्व

गुड़गांव स्थित शीतला मंदिर में वैसे तो देशभर कैसे श्रद्धालुओं आते हैं लेकिन ज्यादा संख्या हरियाणा उत्तर प्रदेश दिल्ली और राजस्थान के श्रद्धालुओं की होती हैं नवरात्र के दिनों मैं शीतला माता के मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं आते हैं साल में दो बार चैत्र नवरात्र और अश्विन नवरात्रि के समय शीतला माता के इस मंदिर का नजारा अद्भुत होता है दोनों नवरात्रों में एक महीने का मेला लगता है भक्तों के भीड़ उभरने लगती है इस दौरान लाखों भक्तों माता को नवरात्र पर दर्शन करने आते हैं इस दौरान माता अपने भक्तों को इम्तिहान लेती है जिन्हें मां के दर्शन के लिए घंटा लाइन में लगना पड़ता है इसके बाद माता का दर्शन हो पता है दर्शन होने के बाद भक्तों अपने को धन्य समझते हैं शीतल माता की मंदिर खासियत यह भी है कि भक्तों अपने नवजात बच्चों को मुंडन करवाते हैं मंदिर प्रशासन को भी मुंडन का ठेके से लाखों की आमदनी होती है जिसे मंदिर को विकास वह आयोजन में खर्च किया जाता है

मां शीतला का वासी भोग  क्यों लगाते हैं बासी भोजन का भोग धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शीतला को बासी खाना अति प्रिय है इसी के कारण सप्तमी तिथि को ही भोग के लिए मीठे चावल पूरे दाने की दाल आदि बना लिए जाते हैं जिन्हें दूसरे दिन भोग के रूप में इस्तेमाल करते हैं बासौदा शीतला माता को समर्पित लोकप्रिय त्यौहार है इस दिन शीतला माता को ठंडा यानी वासी भोग लगाने की परंपरा है इसीलिए शीतला अष्टमी को बासौदा और बासौदा अष्टमी जैसे नाम से भी जाना जाता है

Beautiful Zoological Place in Delhi . अब देखिए दिल्ली का चिड़ियाघर घर

DELHI ZOOLOGICAL PARK

Delhi Zoo
Delhi Zoo place

दोस्तों वैसे तो लोग घूमने का बहुत ही शौकीन होता है लेकिन उसमें भी प्राकृतिक में जो बनाया है और उसमें भी प्यारा प्यारा जानवर और पेड़ पौधे को जो बनाया है उसको ना देखें यह हो ही नहीं सकता है तो चलिए आज हम अपना ही दिल्ली का बात करते हैं जो बहुत ही खूबसूरत और दिलचस्प आंखों देखा हुआ बात बताएंगे आपको जी हां हम बात कर रहे हैं दिल्ली लॉजिकल पार्क दिल्ली का तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख में हम आपको बताएंगे दिल्ली के चिड़ियाघर के बारे में इसके टिकट का प्राइस क्या है उसका टाइमिंग क्या है अब जानवर है कि नहीं है सारा डिटेल आपको नीचे लिखे लेख में मिलेगा।

दोस्तों सबसे पहले हम बात करते हैं कि अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो कैसे जाएं ?

अगर आप दिल्ली से हैं तो प्रगति मैदान के पास ही है यह चिड़ियाघर अगर आप गुड़गांव में हैं तो आप मेट्रो का सहारा ले सकते हैं या आउट ऑफ दिल्ली है तो आप ट्रेन से या फ्लाइट से अब आराम से आ सकते हैं।

दिल्ली चलिए हम बात करते हैं इसका टिकट प्राइस क्या है अगर आप इंडिया से हैं तो आपका प्राइस रहेगा₹80 पर पर्सन या अगर आपके साथ बच्चे हैं तो उनका भी टिकट लगेगा हाफ टिकट लगेगा उनका अगर वह 12 साल या 12 साल के ऊपर है तो यह टिकट 5 साल के बच्चे से लेकर 12 साल तथा उसके ऊपर भी टिकट लगता है।अगर आप आउट ऑफ दिल्ली से हैं तो आपके लिए कुछ टिकट ज्यादा हो सकता है यानी की 400 से ₹500 आपको भुगतान करने पड़ सकते हैं।

जब आप शुरू में जाएंगे तो कुछ इस तरह से देखने को मिलेगा तो मैं भी सोचा कि क्यों नहीं इसको बताया जाए प्राकृतिक के संरक्षण के उद्देश्य से ये पोस्टर लगाया गया है तो इसका प्रचार प्रसार होना ही चाहिए ताकि हमारा प्राकृतिक धरोहर जो है सुरक्षित रहे।

दोस्तों अगर मैं बात करूं कैरी बैग का अगर आपके पास कैरी बैग है तो काउंटर पर जमा कर दे ₹5 आपसे लगा और टोकन देगा उसे टोकन को संभाल के रखना है उसके बाद जब आप वापस आ जाएंगे उसे टोकन को दे दीजिए यहां पर और आपको बैग मिल जाएगा।




बैग जमा करने के बाद यह ₹5 का टोकन दिया है इसको संभाल के रखना है कुछ इस तरह से आपको भी मिलेगा।

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India”s Best Five Honeymoon Places for love couples. भारत के सबसे सुंदर जगह

India”s Five Best Honeymoon Places For Lovely couples. भारत के सबसे खूबसूरत और शांत जगहे जहा आपको जाना चाहिए | जी हाँ आपने बिलकुल सही पढ़ा |

हम सिर्फ सोच के ही रह जाते हैं पर कही जा नहीं पाते हैं , जो की आपको कम से कम इस जगह तो अवस्य जाना चाहिए |

1.गोवा :-(GOA)

Happy Couples In Goa Beach
Goa Beach With Girlfriends

 

गोवा एक ऐसी जगह है जहां जाने का मन सबको करता है जी हां दोस्तों खुली हुई जगह भले छोटा राज्य है लेकिन अपने स्तरीय पर बहुत ही तरक्की किया है जहां पर हर साल हर पल हर दिन लाखों करोड़ों कपल्स अपने जीवन को जीते हैं इसीलिए गोवा एक घूमने का और प्राकृतिक का सौंदर्य का जगह है जहां सबको एक बार अवश्य जाना चाहिए l अच्छा लगे तो बार-बार घूमना चाहिए l

2. मुंबई ( Mumbai) मुंबई

रात का सीन मुंबई का

 

मुंबई जी हां दोस्तों मुंबई को कौन नहीं जानता है जिसे  फिल्म दुनिया का सितारा कहा जाता है यहां पर लोग अपने सपने सच करने आते हैं जो की आगे करते भी है मुंबई अपने आप में एक बहुत ही अच्छा और आकर्षक एवं व्यवसाय शहर है जहां पर लोग अपने सपनों को रोज नए-नए आकार देते हैं जी हां दोस्तों मुंबई पर्यटक व्यवसायिक तथा फिल्मी सितारों का यह संसार है जहां पर आपको एक बार अवश्य विकसित करना चाहिए।

अगर आप भी घूमने का शौक रखते हैं तो समुद्र के लहरों के किनारो में जो मजा आएगा आपको वह मुंबई से बड़ा मजा कहीं नहीं आएगा तो मुंबई जरूर आए और समुद्र तथा मुंबई के जो बनावटी है उसका आनंद जरूर ले।

3.बिहार (Bihar)

India ke five Best Place में बिहार भी सबसे बड़ा टूरिस्ट प्लेस है आपने सुना होगा बिहार के बारे में सिर्फ वह सिर्फ नेगेटिव।

लेकिन मैं आपको असलियत बताता हूं बिहार के बारे में जहां अगर बात करूं बिहार के लिट्टी चोखा जो की यह सच नहीं है बिहार में हजारों ऐसे व्यंजन बनते हैं जो मुंह के स्वाद से लेकर ऊपर में बैठे देवता को भी आकर्षित करते हैं अगर मैं खाना खाकर घूमने की बात करूं तो हमें नहीं लगता है की बिहार जैसा कोई राज्य होगा क्योंकि बिहार का  हर वह एक कोना कोना कहता हैं की मैं हरियाली हूं मैं बिहार हूं मुझे जो न समझा वह ना समझ है क्योंकि मैं बिहार हूं,

जी हां दोस्तों बिहार एक ऐसा नाम है जो पहले विहार हुआ करता था । जिसका साफ-साफ मतलब होता है घूमने वाला जगह जी हां  आपने सही पढ़ा।

बिहार एक ऐसा राज्य है जहां पर आपको सभी प्रकार के आनन्द की अनुभूति मिलेगी ।

 

आज बिहार बहुत ही तरक्की पर है अगर मैं यहां फ्लाइंग और वोटिंग का बात करू तो  पटना में वह भी है जहां मेट्रो की बात करूं वह भी है अगर मैं तांगा की बात करूं वह भी है बिहार अपने आप में एक समृद्ध तथा प्राकृतिक सौंदर्य का एक पिटारा है जिसे लोग जानते नहीं है लेकिन अपवाद जरूर करते हैं ।

हमारे बिहार को क्योंकि मैं भी गली-गली और पहाड़ी पहाड़ी बिहार की हर एक कोने से बिहार के हर एक कोने से आपको कोयल की आवाज कोयल की आवाज सुनाई देगा जिसे सुनकर जिसे सुनकर आप कहेंगे कि सच में बिहार किसी स्वर्ग से कम नहीं है तो आप एक बार जरूर बिहार जाइए।

4.केरल ( KERLA)

5.मसूरी (Mayusuri )